Nirjala Ekadashi Kab Hai : सनातन धर्म में निर्जला एकादशी का बहुत ही विशेष महत्व माना जाता है। प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन निर्जला एकादशी व्रत रखा जाता है। हिंदू पुराण के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत रखने से मनुष्य की जिंदगी में सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है और जिंदगी में सुख समृद्धि आती है। निर्जला एकादशी का जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी को समर्पित है और इस दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और पूरे विधि विधान के साथ पूजा की जाती है।
हिंदू पुराण में बताया गया है कि अगर आप भगवान विष्णु जी को प्रसन्न करना चाहते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो आपके लिए निर्जला एकादशी का व्रत बहुत ही अच्छा साधन है। निर्जला एकादशी का व्रत बहुत ही कठिन माना जाता है क्योंकि इस व्रत के दौरान व्यक्ति को ना ही पानी पीना होता है और ना ही किसी भी तरह का कोई फलाहार का सेवन करना होता है। इस दिन सभी भक्तगण सच्चे मन भाव के साथ निर्जला व्रत रखते हैं और सच्चे श्रद्धा भाव के साथ भगवान विष्णु जी की पूजा करते हैं। आइए अब हम आपको बताते हैं कि निर्जला एकादशी व्रत कब है ( Nirjala Ekadashi Kab Hai ) ।
निर्जला एकादशी व्रत कब है? ( Nirjala Ekadashi Kab Hai )
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार वर्ष 2025 में 6 जून 2025 को रात्रि 2:15 पर ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी शुरुआत होगी। वहीं इसके अगले दिन 7 जून को 4:45 पर एकादशी का समापन होगा, इस हिसाब से सनातन धर्म के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत 6 जून 2025 को रखा जाएगा।
निर्जला एकादशी व्रत का महत्व
सनातन धर्म में निर्जला एकादशी व्रत का बहुत ही विशेष महत्व माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार व्यास जी के आदेश पर भीम ने एकादशी व्रत रखा था और इसी वजह से बहुत सारे लोग निर्जला एकादशी व्रत को भीम सैनी एकादशी व्रत के नाम से भी जानते हैं। हिंदू पुराण के अनुसार भीम ने निर्जला एकादशी का व्रत मौत प्राप्त करने के लिए रखा था। कहा जाता है कि निर्जला एकादशी का व्रत रखने से पूरे वर्ष एकादशी व्रत के बराबर फल और पुण्य की प्राप्ति होती है।
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निर्जला एकादशी व्रत पूजा विधि
निर्जला एकादशी व्रत के दिन सभी भक्तगण पूरे विधि विधान के साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं।
- निर्जला एकादशी व्रत के दिन सभी भक्त लोग सुबह उठकर गंगा स्नान करें और भगवान सूर्य देव को जल चढ़ाएं।
- स्नान करने के बाद आप घर में बने हुए पूजा स्थल की साफ सफाई करें और व्रत का संकल्प लेकर पूजा की तैयारी शुरू करें।
- पूजा स्थल पर भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की मूर्ति को चौकी पर स्थापित करें।
- अब आप सभी पूजा सामग्री को लेकर पूरे विधि विधान के साथ भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा करें और आरती करें।
- निर्जला एकादशी व्रत के दौरान पूजा करते समय भगवान विष्णु जी को पीले फल और माता लक्ष्मी जी को खीर का भोग जरूर लगाए।
- पूजा करने के बाद आप विष्णु सहस्त्रनाम और विष्णु चालीसा का पाठ करें और पूरे दिन सच्चे मन और श्रद्धा के साथ निर्जला व्रत रखें और मन लगाकर पूजा पाठ करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल ( FAQ )
निर्जला व्रत में पानी कब पीना चाहिए?
अगर आप सभी भक्त लोग निर्जला एकादशी व्रत रखते हैं तो आप निर्जला व्रत के दौरान सूर्योदय से लेकर अगले दिन सूर्योदय तक आपको अपनी नहीं पीना चाहिए।
2025 में निर्जला एकादशी व्रत कब है?
वर्ष 2025 में निर्जला एकादशी व्रत 6 जून 2025 को रखा जाएगा।
निर्जला एकादशी का व्रत क्या खाकर खोलना चाहिए?
निर्जला एकादशी व्रत के दौरान आपको सबसे पहले गरीबों को अन्न वस्त्र दान करें और इसके बाद आप नींबू पानी या फिर सादा पानी पीकर व्रत खोल सकते हैं।
क्या सूर्यास्त के बाद निर्जला एकादशी का व्रत तोड़ा जा सकता है?
निर्जला एकादशी व्रत के नियम के अनुसार एकादशी का व्रत सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक रखा जाता है, यानी की सूर्यास्त होने के बाद निर्जला एकादशी का व्रत नहीं तोड़ा जा सकता है।