Chhath Puja Kab Hai 2024 : इस वर्ष 2024 में दो दिन दिवाली मनाए जाने की वजह से लोगों के बीच छठ पूजा को लेकर कंफ्यूजन है। लोगों के बीच कंफ्यूजन है कि छठ पूजा कब है और किस दिन मनाई जाएगी। छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। इस पर्व को बिहार झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
इस बार दिवाली पूरे भारतवर्ष में 31 अक्टूबर और 1 अक्टूबर 2 दिन मनाई गई है। छठ पूजा दिवाली के 6 दिन बाद मनाई जाती है, इसलिए लोगों के मन में कंफ्यूजन है कि छठ पूजा 6 तारीख को है या फिर 7 तारीख को मनाई जाएगी। छठ पूजा कब है इसके बारे में जानते हैं। साथ ही आपको नहाय खाए, खरना संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य की शुभ मुहूर्त से जुड़ी संपूर्ण जानकारी नीचे मिलेगी।
छठ पूजा 2024 कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार छठ पूजा दिवाली के 6 दिन बाद मनाई जाती है। इस बार हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 7 अक्टूबर को 12:41 पर शुरू होगी और इसका समापन 8 अक्टूबर 12:34 पर होगा। इस वजह से 7 अक्टूबर को संध्या काल का अर्घ्य दिया जाएगा और सुबह का अर्घ्य 8 अक्टूबर को सुबह दिया जाएगा।
नहाय खाए, खरना संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य की शुभ मुहूर्त
छठ पूजा की शुरुआत नहाए खाए के साथ होती है। इस वर्ष नहाए खाए 5 नवंबर 2024 को पड़ेगा, आप इस दिन घर की साफ सफाई करें और घर पर शुद्ध शाकाहारी भोजन का सेवन करें। नहाय खाए के दिन केवल एक टाइम भोजन किया जाता है और इस दिन सभी महिलाएं नारंगी रंग का सिंदूर लगाकर छठ का प्रसाद बनाएं और इसके बाद सूर्य देव और छठी मैया को भोग लगाकर भोजन ग्रहण करें।
नहाय खाए के बाद यानी दूसरे दिन खरना होता है। इस दिन महिलाओं को पूरे दिन निर्जला व्रत रहना पड़ता है और शाम को गुड़ की खीर भी लगी रोटी और फलों का सेवन करना होता है। यही चीजे घर के सभी सदस्यों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है। छठ मैया पूजा का तीसरा दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।
छठ पूजा के तीसरे दिन पूरे विधि-विधान से छठ पूजा की जाती है। इस दिन शाम को सूर्य देव और छठी मैया की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है। इस दिन आपको बांस की टोकरी में ठेकुआ, चावल के लड्डू जो फ को रखकर पूजा का सूप सजाया जाता है और अस्त सूर्य को जल अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद छठी मैया की पूजा की जाती है और छठी मैया की कथा सुनी जाती है।
छठ पूजा के चौथे दिन यानी 8 अक्टूबर को सभी महिलाओं को सुबह उठकर नदी के घाट पर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देना होता है। इसके बाद सभी व्रत रखने वाली महिलाओं को कच्चे दूध का शरबत पीकर और प्रसाद ग्रहण करने के बाद मैया को प्रणाम किया जाता है ओर इसके बाद छठ पर्व समाप्त हो जाता है।
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