प्रदोष व्रत किस महीने से शुरू करना चाहिए :- हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत ही विशेष महत्व है, प्रदोष व्रत प्रत्येक माह त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है। प्रदोष व्रत भगवान भोलेनाथ को समर्पित है और जिस दिन पूरे विधि विधान के साथ भोलेनाथ की आराधना की जाती है, मान्यता है कि व्रत रखने से और भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से भगवान भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होती है और जिंदगी में चल रहे सभी समस्याओं का नाश होता है।
प्रदोष व्रत पुरुष या स्त्री कोई भी रख सकता है। अगर आप पहली बार प्रदोष व्रत रखने जा रहे हैं और आप सोच रहे हैं कि प्रदोष व्रत किस महीने शुरू करना चाहिए, प्रदोष व्रत कब शुरू करना चाहिए, प्रदोष व्रत के फायदे क्या है, प्रदोष व्रत नियम के साथ- साथ प्रदोष व्रत की जोड़ी संपूर्ण जानकारी आपको दी जाएगी।
प्रदोष व्रत किस महीने से शुरू करना चाहिए?
हिंदू शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत आप किसी भी महीने की त्रयोदशी तिथि से शुरू कर सकते हैं। अगर आप सावन मां और कार्तिक मन से प्रदोष व्रत शुरु करते हैं तो यह बहुत ही शुभ माना जाता है। आप शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन से प्रदोष व्रत शुरू कर सकते हैं।
प्रदोष व्रत महत्व
प्रदोष व्रत भगवान शिव जी को समर्पित है, प्रदोष काल में भगवान शिव जी की पूजा की जाती है, प्रदोष काल में भगवान शिव जी की पूजा करने से सभी संकट दूर होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। प्रदोष व्रत रखने से दांपत्य जीवन में खुशियां आती है और जिन दांपत्य लोगों को पुत्र प्राप्ति नहीं होती है उनके लिए प्रदोष व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण है।
प्रदोष व्रत कैसे करें ?
अगर आप प्रदोष व्रत रखना शुरू करना चाहते हैं तो आपको बताना चाहता हूं कि प्रदोष व्रत रखने के दो तरीके होते हैं। पहले तरीके के अनुसार आप प्रदोष व्रत सूर्योदय से लेकर अगले दिन की सूर्योदय तक उपवास रखकर प्रदोष व्रत रख सकते हैं। दूसरे तरीके के अनुसार प्रदोष व्रत सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक उपवास रख का प्रदोष व्रत रख सकते हैं। आप अपनी सुविधा अनुसार प्रदोष व्रत का संकल्प लेकर प्रदोष व्रत रख सकते हैं।
प्रदोष व्रत के लाभ
- प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव की और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है।
- प्रदोष व्रत रखने से भगवान की कृपा से कष्टो का नाश होता है।
- प्रदोष व्रत रखने से जिंदगी में सुख शांति संतोष स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति होती है।
- प्रदोष व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- प्रदोष व्रत रखने से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- प्रदोष व्रत रखने से जिंदगी में आने वाली सभी समस्याएं समाप्त होती है।
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प्रदोष व्रत में क्या-क्या खा सकते हैं ?
प्रदोष व्रत के दौरान आप सात्विक भोजन का सेवन करें, आप प्रदोष व्रत के दौरान क्या-क्या खा सकते हैं इसकी पूरी लिस्ट आपको नीचे दी जा रही है –
- फलों का सलाद
- आलू का रायता
- कुट्टू पुरी
- कुट्टू के पकोड़े
- साबुदाना की खिचड़ी
- साबुदाने के पापड़
- शकरकंद
- मैंगो लस्सी
प्रदोष व्रत पूजन विधि
- प्रदोष व्रत के दिन सुबह सुबह से पहले जल्दी उठकर स्नान करें।
- घर की साफ सफाई करें और पूजा स्थल की भी साफ सफाई करके गंगाजल का छिड़काव करें।
- अब आप पूजा स्थल पर भगवान शिव जी और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें और उत्तर पूर्व दिशा की तरफ मुख करके पूजा करें।
- पूजा के दौरान सभी पूजा सामग्री होनी चाहिए।
- पूजा के समय ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- अब आप शिव चालीसा का पाठ करें और शिव आरती करने के बाद हाथ जोड़कर उज्जवल भविष्य के लिए कामना करें और सभी जाने अनजाने गलतियों के लिए क्षमा याचना करें।
- प्रदोष व्रत के दिन रुद्राभिषेक करने से सभी रोगों से मुक्ति मिलती है और घर परिवार में सुख शांति आती है।
- प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव जी की पूजा संध्याकाल यानी प्रदोष काल में की जाती है।
प्रदोष व्रत उद्यापन विधि
- प्रदोष व्रत का उद्यापन त्रयोदशी तिथि के दिन ही करना चाहिए।
- व्रत उद्यापन से पहले भगवान गणेश जी की पूजा करें और कीर्तन करें।
- व्रत उद्यापन के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहने।
- स्नान करने के बाद आप भगवान शिव जी माता पार्वती और भगवान गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें और पूरे विधि विधान के साथ पूजा करें।
- पूजा के दौरान आपको “ॐ उमा सहित शिवा नमः” मंत्र का 108 बार जाप करते हुए हवन करना है।
- हवन करने के बाद भगवान शिव जी की आरती करें और शांति पाठ करें।
- पूजा करने के बाद आप काम से कम दो ब्राह्मणों को भोजन कारण और अपनी समर्थ के अनुसार दान दक्षिणा दें।
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