Pradosh Kab Hai : हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं। प्रत्येक माह में शुक्ल पक्ष और कृष्णा तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत भगवान शिव जी को समर्पित है और इस दिन भगवान शिव जी और माता पार्वती की पूजा की जाती है। सनातन धर्म के अनुसार प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव जी की पूजा करने से और व्रत रखने से मनुष्य को भगवान शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसकी जिंदगी में सुख समृद्धि आती है। जून महीने में दूसरा प्रदोष व्रत कब है ( Pradosh Vrat Hai ), पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त से जुड़ी पूरी जानकारी प्राप्त करें।
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत ही विशेष महत्व माना जाता है, शिव पुराण के अनुसार प्रदोष काल के दौरान शिव की पूजा करने से और व्रत रखने से रोग और दोष से छुटकारा मिलता है। इतना ही नहीं अगर बात सच्चे मन के साथ प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की आराधना करता है तो व्यक्ति को शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसकी जिंदगी में सुख समृद्धि शांति आती है, जिंदगी में चल रहे सभी कष्टो का नाश होता है।
जून में दूसरा प्रदोष व्रत कब है ( Pradosh Kab Hai )
हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष और कृष्णा तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। जून महीने में कृष्ण स्थिति की शुरुआत 23 जून को रात्रि 1:21 पर शुरू होगी और इसका समापन 23 जून को ही रात्रि 10:09 पर होगी। इस हिसाब से जून महीने का दूसरा प्रदोष व्रत 23 जून 2025 को रखा जाएगा और इसी दिन व्रत रखा जाएगा और शिवजी की पूजा की जाएगी। प्रदोष व्रत रखने वाले सभी माताए बहने और भक्त लोग 23 जून को प्रदोष का व्रत रख सकते हैं।
प्रदोष व्रत जून शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त सुबह 3:46 से लेकर 4:28 तक
अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:33 लेकर 12:28 तक
विजय मुहूर्त दोपहर के 2:17 से लेकर 3:12 तक
नीतिशा मुहूर्त रात्रि 11:40 मिनट से 24 जून 2025 को रात्रि 12:21 मिनट तक
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प्रदोष व्रत का महत्व
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत ही विशेष महत्व माना गया है। प्रदोष व्रत भगवान शिव जी और माता पार्वती को समर्पित है और इस दिन पूरी विधि विधान के साथ भगवान शिव जी की पूजा की जाती है। शिव पुराण के अनुसार प्रदोष तिथि के दिन भगवान शिव जी नृत्य करते हैं और सभी देवी देवताएं उनकी पूजा करते हैं। हिंदू धर्म में मान्यता है कि प्रदोष काल के दौरान भगवान शिव जी की पूजा करने से मनुष्य के सभी रोगों से छुटकारा मिलता है और शिवजी के आशीर्वाद से जिंदगी में सुख शांति और समृद्धि आती है।
प्रदोष व्रत पूजा विधि
- प्रदोष तिथि के दिन सबसे पहले साधक सुबह उठकर गंगा स्नान करें या घर पर पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें।
- इसके बाद साधक भगवान शिव जी को याद करके प्रदोष व्रत रखने का संकल्प ले।
- अब आप अपने नजदीकी शिवजी के मंदिर जाकर पूरे विधि विधान के साथ भगवान शिव जी की पूजा करें ।
- शिव जी के शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक करें और इसके बाद बेलपत्र , धतूरा, भांग, शमी पत्र, सफेद चंदन, अक्षत, धूप, दीप, फल और मिठाई अर्पित करें।
- अब आप शिव जी के सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना करें और ओम नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें।
- इसके बाद आप शिव चालीसा का पाठ करें।
- अब आप शिवजी की आरती करें और हाथ जोड़कर अपने द्वारा जाने अनजाने में किए गए सभी गलतियां के लिए माफी मांगे और अपनी जिंदगी में सुख समृद्धि और शांति के लिए प्रार्थना करें।