Dev Uthani Ekadashi Kab Hai : हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत ही विशेष और खास महत्व माना जाता है, एकादशी व्रत भगवान विष्णु जी को समर्पित है और इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा करने से और व्रत रखने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख समृद्धि शांति आती है। अगर आप जाना चाहते हैं कि देवउठनी एकादशी कब है ( Dev Uthani Ekadashi Kab Hai ) तो आपके यहां पर देवउठनी एकादशी व्रत से जुड़ी संपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी।
देव उठानी एकादशी कब है ( Dev Uthani Ekadashi Kab Hai )
देव उठानी एकादशी व्रत कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। इस बार 2025 में कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि की शुरुआत 1 नवंबर को सुबह 9:11 पर हो रही है और इसका समापन अगले दिन 2 अक्टूबर को सुबह 7:31 पर होगा, उदया तिथि के हिसाब से देवउठनी एकादशी व्रत 1 नवंबर 2025 को रखा जाएगा।
देवउठनी एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:50 से लेकर 5:41 तक
- विजय मुहूर्त दोपहर 1:55 से लेकर 2:39 तक
- गोधूलि मुहूर्त शाम 5:36 से लेकर 6:02 तक
- निशिता मुहूर्त रात्रि 11:39 से लेकर 12:31 तक
देवउठनी एकादशी व्रत पारण शुभ मुहूर्त
देवउठनी एकादशी व्रत पारण 2 नवंबर 2025 को किया जाएगा, देवउठनी एकादशी व्रत पारण का शुभ मुहूर्त 1:11 से लेकर शाम 3:30 तक है। आप इस शुभ मुहूर्त पर पूरे विधि विधान के साथ व्रत पारण कर सकते हैं।
देवउठनी एकादशी व्रत का महत्व
हिंदू शास्त्रों में देवउठनी एकादशी व्रत का महत्व बहुत ही विशेष बताया गया है, धार्मिक शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति आर्थिक तंगी से मुक्ति पाना चाहता है उसे देवउठनी एकादशी व्रत जरूर रखना चाहिए, देवउठनी एकादशी व्रत रखने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी की कृपा बरसती है और आपके जीवन में आने वाली सभी आर्थिक तंगी से समस्याएं दूर होती हैं। देवउठनी एकादशी व्रत के दिन आप भगवान विष्णु को कच्चे दूध से अभिषेक जरूर करें।
देवउठनी एकादशी व्रत पूजा समय जरूर करें इस मंत्र का जाप
देवउठनी एकादशी व्रत के दौरान आप भगवान श्री हरि नारायण विष्णु जी की पूजा करें और पूजा के समय आप नीचे दिए गए मंत्र का जब जरुर करें –
विष्णु मंत्र
- शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥
- ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥
