Dev Uthani Ekadashi : कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के एकादशी को देव प्रबोधिनी (देवउठनी) कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार देव प्रबोधिनी (देवउठनी) के दिन भगवान श्री विष्णु योग निद्रा अवस्था से जागृत अवस्था में आते हैं। इस दिन की बाद हिंदू धर्म में सभी शुभ कार्यक्रम की शुरुआत होती है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार देवउठनी एकादशी भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रसाद प्रसन्न करने के लिए मनाया जाता है।
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार देवउठनी एकादशी ( Dev Uthani Ekadashi ) के दिन कोई व्यक्ति पूरे विधि विधान से भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। देवउठनी एकादशी के दिन शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह भी संपन्न होता है। देवउठनी एकादशी का व्रत करने से आपकी जिंदगी की सभी समस्याओं का अंत होता है और आपको सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
देवउठनी एकादशी कब है ? ( Dev Uthani Ekadashi )
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 1 नवंबर 2025 को सुबह 9:11 पर शुरू होगी। इस तिथि का समापन 12 नवंबर को 4:04 पर होगा। इसके हिसाब से देवउठनी एकादशी का व्रत 12 नवंबर को रखा जाएगा। आप 2 नवंबर 2025 को सुबह 7:31 बजे के बाद देव उठानी एकादशी का व्रत रख सकते हैं।
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तुलसी विवाह कब करना है ?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिस दिन भगवान श्री हरि विष्णु जागृत अवस्था में आते हैं, उस दिन ही तुलसी विवाह किया जाता है। क्योंकि भगवान हरि विष्णु जागते ही तुलसी को याद करते हैं। इसलिए कुछ जगह देव उठनी एकादशी के दिन ही शालिग्राम और तुलसी का विवाह संपन्न कराया जाता है। इसके अलावा कुछ जगह पर द्वादशी के दिन शालिग्राम और तुलसी का विवाह संपन्न कराया जाता है।
शास्त्रों के अनुसार कहा गया है कि अगर आप देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह नहीं कर पाए तो आप द्वादशी के दिन या फिर द्वादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक आप किसी भी दिन तुलसी विवाह कर सकते हैं।
देवउठनी एकादशी व्रत महत्व
कार्तिक मां के शुक्ल पक्ष तिथि के दिन पड़ने वाले देवउठनी एकादशी व्रत का बहुत ही विशेष महत्व माना जाता है। देवउठनी ग्यारस को छोटी दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है, देव उठानी एकादशी को हम लोग तुलसी विवाह के रूप में मानते हैं इस दिन पूरे विधि विधान के साथ तुलसी पूजा करते हैं। देव उठानी एकादशी व्रत के दिन पूजा अर्चना करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं।
देवउठनी एकादशी पर क्या करना चाहिए?
- देवउठानी एकादशी व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद श्री हरि भगवान विष्णु जी की पूजा करनी चाहिए।
- देवउठनी एकादशी व्रत के दिन व्रत का संकल्प लेकर पूरे दिन केवल फलाहार का सेवन करना चाहिए।
- एकादशी व्रत के दौरान भगवान विष्णु माता लक्ष्मी और तुलसी जी की पूजा करनी चाहिए।
- एकादशी व्रत पारण करने के बाद गरीब लोगों को अन्न धन और ग्राम वस्त्रो का दान करना चाहिए।
- एकादशी व्रत के दिन पूजा करने के बाद सोना नहीं चाहिए।
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